नवगछिया का बहुचर्चित प्रीतम हत्याकांड मामला लगभग डेढ़ साल बाद भी अन्ततः टांय टांय फिस्स ही साबित हुआ। घटना 9 जुलाई 2012 की है। जब आसाम के सिल्चर निवासी होनहार छात्र प्रीतम भट्टाचार्य का नवगछिया स्टेशन से अपहरण किया गया था। जिसकी लाश कई दिनों बाद कटरिया स्टेशन के समीप ओवर ब्रिज के नजदीक बरामद हुई थी। इस मामले में रेल पुलिस द्वारा नौ लोगों को गिरफ्तार कर खगडिया जेल भेजा गया था। जिसके सभी नौ आरोपी भी साक्ष्य के अभाव में इस हत्याकांड के आरोप से 11 दिसम्बर 2013 को खगडिया रेल कोर्ट से बरी हो गए।
जानकारी के अनुसार इस हत्याकांड के मामले में 3 अनुसंधान कर्ताओं सहित कुल 21 गवाहों ने मामले की गवाही दी थी। जिसमें साक्ष्य के तौर पर नवगछिया के जन प्रतिनिधि का वाहन भी जब्त किया गया था।
इस मामले में नवगछिया के नवादा निवासी छट्ठू साहनी, सुभाष सिंह, नेपाली सिंह, जीतन मंडल, बाल्मीकी रजक, सुधो सिंह उर्फ सुदीश सिंह, राजेश मंडल तथा मक्खातकिया निवासी चन्दन साह एवं नया टोला निवासी विजय मंडल को रेल पुलिस द्वारा आरोपित किया गया था। जिसमें से एक चन्दन साह को छोड़ सभी आरोपित जेल से रिहा हो कर अपने अपने घर वापस आ गए । चन्दन साह पर एक अन्य 379 का मामला रहने के कारण उसकी रिहाई नहीं हो पायी।
बताते चलें कि यह प्रीतम हत्याकांड का मामला खगडिया व्यवहार न्यायालय स्थित सहजानन्द शर्मा की अदालत में चल रहा था। जिसमें सरकार की तरफ से अभियोजन का संचालन अपर लोक अभियोजक गजेन्द्र महतो कर रहे थे। जिस हत्याकांड को लेकर बिहार सरकार तक की भारी बदनामी आसाम से लेकर दिल्ली तक हुई थी। मामला राष्ट्रपति तक पहुंचा था।