सब्सिडी घटाने की सरकारी जल्दबाजी ने आम एलपीजी ग्राहकों के सामने
मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर का कोटा
सिस्टम लागू होने के ढाई महीने बाद भी ग्राहक आज भ्रम में हैं। ग्राहकों की
पहचान सत्यापित करने की तेल कंपनियों के नए नियमों की वजह से कम से कम तीन
करोड़ एलपीजी ग्राहकों के कनेक्शन के कटने का खतरा है।
कई ऐसे सवाल है जिनके जबाव न तो सरकार दे पा रही है और न ही तेल कंपनिया। पेट्रोलियम मंत्रालय में नए मंत्री वीरप्पा मोइली के आने के बाद भी हालात जस के जस है।
सवाल जिनके चाहिए जवाब
ग्राहकों की पहचान [केवाईसी] नियमों के तहत किसका गैस कनेक्शन रहेगा और किसका कटेगा
हर महीने गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत क्या रहेगी
चालू साल के बाकी बचे महीनों में कितने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर मिलेंगे
नया गैस कनेक्शन किसे मिलेगा, बिना निवास प्रमाणपत्र वालों को कनेक्शन कैसे मिलेंगे
ग्राहकों के सत्यापन की उलझन
तेल कंपनियों ने एलपीजी ग्राहकों की सही पहचान की प्रक्रिया [केवाईसी] शुरू की है। और यह प्रक्रिया करोड़ों एलपीजी ग्राहकों और गैस एजेंसियों के लिए सिरदर्द का सबब बन गई है। तेल कंपनियों को इस महीने के अंत तक [30 नवंबर] तक देश के लगभग 17 करोड़ रसोई गैस ग्राहकों की पहचान सत्यापित करना है। इसके लिए जारी दिशानिर्देश में काफी अस्पष्ट है। अखिल भारतीय एलपीजी वितरक संघ के महासचिव चंद्रप्रकाश का कहना है कि तेल कंपनिया अभी तक दोहरे कनेक्शन वाले ग्राहकों की सूची भेज रही हैं। अगले दस दिनों के भीतर एक चौथाई ग्राहकों के सत्यापन हो पाएंगे।
नब्बे फीसद गैस एजेंसिया एक छोटे से कमरे और मुश्किल से दो से चार कर्मचारी से काम चलाती हैं। ये एक साथ हजारों ग्राहकों का केवाईसी के आधार पर सत्यापन नहीं कर सकती हैं। तेल कंपनियों का कहना है कि 17 करोड़ ग्राहकों में तीन करोड़ छद्म नाम या गलत पता या दोहरे कनेक्शन वाले हो सकते हैं।
निवास प्रमाण पत्र का पेंच
तेल कंपनियों ने एक पता-एक गैस कनेक्शन की रणनीति बनाई है। इससे उन लाखों ग्राहकों के समक्ष गैस कनेक्शन के खत्म होने का खतरा है, जो किराये पर रहते हैं या जिनके पास वैध निवास प्रमाण पत्र नहीं हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में एक ही पते पर दर्जनों किराएदारों व दुकानों की वजह से 50-50 गैस कनेक्शन हैं। एक छत के नीचे रह रहे अलग-अलग भाइयों के कनेक्शन भी वापस लिए जा सकते हैं।
कीमत का असमंजस
गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में हर महीने होने वाले बदलाव से भी ग्राहक परेशान हैं। दिल्ली में ऐसे एलपीजी सिलेंडर की कीमत 767 रुपये से बढ़कर 895 रुपये हो गई है। इस महीने के अंत में एक और वृद्धि संभव है। ग्राहकों को इस बढ़ोतरी के पीछे की गणित या रणनीति के बारे में नहीं बताया जाता।
नए कनेक्शन की मुसीबत
सत्यापन के चक्कर में नए गैस कनेक्शन लेना बहुत मुश्किल हो गया है। ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने की वजह से दो महीने तक का समय कंपनिया ले रही हैं। हा, अगर ग्राहक गैस सिलेंडर की पूरी कीमत देने को तैयार है तो उसे नया कनेक्शन मिलने लगा है। देश के कई हिस्सों में तो नए कनेक्शन एकदम दिए ही नहीं जा रहे हैं।
बढ़ेगा सब्सिडी कोटा
कांग्रेस पार्टी के दबाव में केंद्र सरकार बहुत जल्द ही सालाना छह गैस सिलेंडर के जगह पर नौ सिलेंडर देने का फैसला कर सकती है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाधी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसके लिए राजी कर लिया है। इस बारे में फैसला लेने की जिम्मेदारी पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली पर छोड़ दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनिया केवाईसी के पूरा होने के बाद इसकी घोषणा करेंगी। आगामी चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरो की संख्या बढ़ाने का दबाव बनाया हुआ है।
कम होंगे ग्राहक तो बढ़ेगा मुनाफा
ग्राहक सत्यापन के बाद तेल कंपनियों को उम्मीद है कि तीन करोड़ रसोई गैस कनेक्शन खत्म किए जा सकेंगे। साथ ही रसोई गैस की कालाबाजारी में भी कमी होने का अनुमान है। इस वजह से तेल कंपनियों को सालाना 5,000 करोड़ रुपये की बचत होने के आसार हैं। चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह में कंपनियों ने रसोई गैस पर 17 हजार करोड़ रुपये का घाटा उठाया है। इसका एक बड़ा हिस्सा सरकार वहन करेगी।
कई ऐसे सवाल है जिनके जबाव न तो सरकार दे पा रही है और न ही तेल कंपनिया। पेट्रोलियम मंत्रालय में नए मंत्री वीरप्पा मोइली के आने के बाद भी हालात जस के जस है।
सवाल जिनके चाहिए जवाब
ग्राहकों की पहचान [केवाईसी] नियमों के तहत किसका गैस कनेक्शन रहेगा और किसका कटेगा
हर महीने गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत क्या रहेगी
चालू साल के बाकी बचे महीनों में कितने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर मिलेंगे
नया गैस कनेक्शन किसे मिलेगा, बिना निवास प्रमाणपत्र वालों को कनेक्शन कैसे मिलेंगे
ग्राहकों के सत्यापन की उलझन
तेल कंपनियों ने एलपीजी ग्राहकों की सही पहचान की प्रक्रिया [केवाईसी] शुरू की है। और यह प्रक्रिया करोड़ों एलपीजी ग्राहकों और गैस एजेंसियों के लिए सिरदर्द का सबब बन गई है। तेल कंपनियों को इस महीने के अंत तक [30 नवंबर] तक देश के लगभग 17 करोड़ रसोई गैस ग्राहकों की पहचान सत्यापित करना है। इसके लिए जारी दिशानिर्देश में काफी अस्पष्ट है। अखिल भारतीय एलपीजी वितरक संघ के महासचिव चंद्रप्रकाश का कहना है कि तेल कंपनिया अभी तक दोहरे कनेक्शन वाले ग्राहकों की सूची भेज रही हैं। अगले दस दिनों के भीतर एक चौथाई ग्राहकों के सत्यापन हो पाएंगे।
नब्बे फीसद गैस एजेंसिया एक छोटे से कमरे और मुश्किल से दो से चार कर्मचारी से काम चलाती हैं। ये एक साथ हजारों ग्राहकों का केवाईसी के आधार पर सत्यापन नहीं कर सकती हैं। तेल कंपनियों का कहना है कि 17 करोड़ ग्राहकों में तीन करोड़ छद्म नाम या गलत पता या दोहरे कनेक्शन वाले हो सकते हैं।
निवास प्रमाण पत्र का पेंच
तेल कंपनियों ने एक पता-एक गैस कनेक्शन की रणनीति बनाई है। इससे उन लाखों ग्राहकों के समक्ष गैस कनेक्शन के खत्म होने का खतरा है, जो किराये पर रहते हैं या जिनके पास वैध निवास प्रमाण पत्र नहीं हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में एक ही पते पर दर्जनों किराएदारों व दुकानों की वजह से 50-50 गैस कनेक्शन हैं। एक छत के नीचे रह रहे अलग-अलग भाइयों के कनेक्शन भी वापस लिए जा सकते हैं।
कीमत का असमंजस
गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में हर महीने होने वाले बदलाव से भी ग्राहक परेशान हैं। दिल्ली में ऐसे एलपीजी सिलेंडर की कीमत 767 रुपये से बढ़कर 895 रुपये हो गई है। इस महीने के अंत में एक और वृद्धि संभव है। ग्राहकों को इस बढ़ोतरी के पीछे की गणित या रणनीति के बारे में नहीं बताया जाता।
नए कनेक्शन की मुसीबत
सत्यापन के चक्कर में नए गैस कनेक्शन लेना बहुत मुश्किल हो गया है। ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने की वजह से दो महीने तक का समय कंपनिया ले रही हैं। हा, अगर ग्राहक गैस सिलेंडर की पूरी कीमत देने को तैयार है तो उसे नया कनेक्शन मिलने लगा है। देश के कई हिस्सों में तो नए कनेक्शन एकदम दिए ही नहीं जा रहे हैं।
बढ़ेगा सब्सिडी कोटा
कांग्रेस पार्टी के दबाव में केंद्र सरकार बहुत जल्द ही सालाना छह गैस सिलेंडर के जगह पर नौ सिलेंडर देने का फैसला कर सकती है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाधी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसके लिए राजी कर लिया है। इस बारे में फैसला लेने की जिम्मेदारी पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली पर छोड़ दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनिया केवाईसी के पूरा होने के बाद इसकी घोषणा करेंगी। आगामी चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरो की संख्या बढ़ाने का दबाव बनाया हुआ है।
कम होंगे ग्राहक तो बढ़ेगा मुनाफा
ग्राहक सत्यापन के बाद तेल कंपनियों को उम्मीद है कि तीन करोड़ रसोई गैस कनेक्शन खत्म किए जा सकेंगे। साथ ही रसोई गैस की कालाबाजारी में भी कमी होने का अनुमान है। इस वजह से तेल कंपनियों को सालाना 5,000 करोड़ रुपये की बचत होने के आसार हैं। चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह में कंपनियों ने रसोई गैस पर 17 हजार करोड़ रुपये का घाटा उठाया है। इसका एक बड़ा हिस्सा सरकार वहन करेगी।