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श्रधालुओं के मन में बसी है माता की छवि


शारदीय नवरात्र के दौरान नवगछिया अनुमंडल स्थित विभिन्न स्थानों के दुर्गा मंदिरों में विभिन्न तरीकों तथा विधि-विधानों से माता दुर्गा की पूजा-अर्चना की जा रही है। जिनमें से अधिकांश जगहों पर शास्त्रोक्त विधि तथा वैदिक विधि के तहत पूजा-अर्चना हो रही है। तो कहीं तांत्रिक विधि से तो कहीं राजशाही विधि से तो कहीं बंगला पद्धति से पूजा का विधान संपन्न हो रहा है। जिनमें से अधिकांश जगहों पर माता की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। जिसका पूजन संपन्न होने के पश्चात प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है। उपरोक्त मान्यताओं और सिद्धांतों से अलग हटकर एक जगह होती है माता के सिर्फ शक्ति रूप ज्योति की पूजा। यह पुजा होती है नवगछिया के पुनामा प्रताप नगर ग्राम वासियों द्वारा निर्मित मां भवानी के मंदिर में। जहां चली आ रही दो सौ साल की पुरानी परंपरा के तहत पहली के दिन ज्योति प्रज्वलित कर पूजा प्रारंभ होती है तथा दशमी के दिन इसी ज्योति का विसर्जन गांव के लोग नदी अथवा तालाब में करते है। जहां माता को पाठा की सैकड़ों बलि भी चढ़ाई जाती है। इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। जिन्हें मंदिर के बाहर से माता की पूजा करने की अनुमति प्राप्त है। दूसरी ओर शारदीय नवरात्र के मौके पर खास कर अष्टमी तथा नवमी पूजा के दिन कुंवारी कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। जिन्हें साक्षात माता दुर्गा का रूप समझ पूजन कर भोजन कराया जाता है। इसके बाद विदाई स्वरूप कुछ उपहार दे कर कन्या रूपी माता को विदा किया जाता है। मौके पर काफी श्रद्धालुओं द्वारा मंगलवार को कुंवारी कन्याओं का पूजन कर भोजन कराया गया। वहीं अन्य श्रद्धालुओं द्वारा नवमी के मौके पर नौ कुंवारी कन्याओं का पुजन कर भोजन कराया जाएगा। वहीं शारदीय नवरात्र के दौरान अष्टम महागौरी की पूजा पूरे अनुमंडल के सभी दुर्गा मंदिरों व अधिकांश श्रद्धालुओं के घरों में मंगलवार को संपन्न हुई। वहीं बुधवार सिद्धि दात्री माता भवानी की पूजा श्रद्धा और आस्था के साथ की जाएगी। श्रद्धालुओं में मान्यता है कि माता के इस रूप की पूजा करने से सौभाग्य लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, विजय, घर परिवार में सुख शांति मिलती है, जीवन शक्ति का संचरण होता है तथा कर्ज और पश्चाताप से मुक्ति मिलती है। इन्हीं सभी प्रकार की कामनाओं के साथ माता की पूजा अर्चना के लिए नगरह, नवगछिया बाजार, रेलवे कालोनी नवगछिया, रंगरा, गोपालपुर, ईस्माइलपुर, तेतरी, साहुपरवत्ता, पुनामा प्रतापनगर, भवनपुरा, भ्रमरपुर, नारायणपुर व बिहपुर इत्यादि जगहों के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा है। जहां कोई मन्नते मांगता है तो कोई खेईचा भर रहा है। सुख, समृद्धि व शांति की कामना के लिए श्रद्धालु के मन में बसी है माता की छवि।