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डॉ. संजीव कुमार सिंह का लगातार चौथी बार एमएलसी कुर्सी पर कब्जा रहा बरकरार

डॉ. संजीव कुमार सिंह का लगातार चौथी बार एमएलसी कुर्सी पर कब्जा रहा बरकरार
34 साल तक पिता शारदा प्रसाद सिंह भी थे एमएलसी 

राजेश कानोड़िया (नव-बिहार समाचार), नवगछिया (भागलपुर)। कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी सह निवर्तमान विधान पार्षद डॉ. संजीव कुमार सिंह ने 8692 मत प्राप्त कर एक तरफा जीत हासिल कर एक बार फिर एमएलसी का चुनाव जीत कर अपना एक नया इतिहास बना लिया है। यह उनकी लगातार चौथी बार जीत है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय उम्मीदवार भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रो योगेंद्र महतो को 6550 मतों से पराजित कर दिया। जबकि भाजपा प्रत्याशी रंजन कुमार को मात्र 599 मत ही प्राप्त हो सके। जबकि इस चुनाव में कुल सात उम्मीदवार मैदान में थे। डॉ. संजीव कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों के विश्वास को और मजबूत करूंगा। शिक्षकों ने उन पर जो विश्वास जताया है, उसे वह और मजबूत करेंगे। विवि में नियुक्ति, स्कूलों में नियोजन, संस्थानों की स्थिति में सुधार का प्रयास करते रहेंगे। कोसी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ने वाले जिलों के सभी कोटि के शिक्षकों का उन्हें समर्थन मिला है। इसलिए वह विवि से लेकर स्कूल तक बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे। डॉ. संजीव कुमार सिंह की इस जीत पर बनारसी लाल सराफ कॉमर्स कॉलेज नवगछिया के सचिव, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य डा मृत्यंजय सिंह गंगा सहित बीएलएस कॉलेज के सभी शिक्षकों ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

अगर कहा जाय कि इस सीट पर 1974 से ही इनके परिवार का कब्जा रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। बता दें कि 1974 से 2008 तक उनके पिता शारदा प्रसाद सिंह भी इसी क्षेत्र से एमएलसी रहे। 2008 में उनका निधन होने पर इस सीट के लिए हुए चुनाव में संजीव सिंह ने पहली बार जीत दर्ज की थी। तब से लेकर इस बार के चुनाव तक वह जीतते ही रहे हैं। इसकी कई वजहें बताई जा रही हैं। इस बार के चुनाव में वह महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे तो भाजपा ने भी अपना प्रत्याशी उतार दिया। लेकिन लगातार तीन बार से जीत रहे और सत्ताधारी दल के प्रत्याशी के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार मजबूत साबित नहीं हुए। स्थिति यह रही कि वे अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। बड़े नामों में टीएमबीयू के डीएसडब्ल्यू प्रो. योगेन्द्र ने भी निर्दलीय दावेदारी पेश की थी। उन्होंने दो बार डीएसडब्ल्यू रहते हुए विवि में सुधार के कई काम किए थे। लेकिन इनमें से ज्यादातर काम छात्रों से जुड़े थे, जो शिक्षक मतदाताओं वाले इस चुनाव में उनके काम नहीं आए। 
व्यक्तिगत प्रभाव की बात करें तो कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में जो 14 जिले आते हैं, उनमें से 4 जिलों भागलपुर, मुंगेर, पूर्णिया और मधेपुरा में यूनिवर्सिटी हैं। संजीव सिंह इनमें भागलपुर विवि के सिंडिकेट तो पूर्णिया विवि के सीनेट सदस्य हैं। सरकार जो विश्वविद्यालयों को वेतन, पेंशन देने के साथ अन्य वित्तीय मदद करती है, उसके उपयोग के लिए बने नियमों और विवि में लिए जा रहे निर्णयों में सरकार के नियमों के पालन पर वह सीधे रूप में नजर रखते हैं। सिर्फ टीएमबीयू की बात करें तो यहां गेस्ट फैकल्टी की बहाली से लेकर इनके सेवा विस्तार, नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की जरूरतों को वह सरकार के स्तर पर लगातार उठाते रहे हैं। पूर्व के प्रभारी कुलपतियों ने जब भी नियमों का उल्लंघन कर खर्च करना चाहा, सिंडिकेट सदस्य के रूप में उन्होंने न सिर्फ आपत्ति की बल्कि निर्णय भी वापस कराया। जब भी बिहार बोर्ड ने वित्त रहित इंटर कॉलेजों की मान्यता खत्म की, संजीव सिंह ने विधान परिषद में इस पर सवाल खड़े किए। स्कूलों में शिक्षकों के नियोजन के मामले भी उठाते रहे हैं। ऐसे लगातार मामलों की वजह से शिक्षकों में उनकी पकड़ मजबूत होती गई।