भागलपुर। सृजन महाघोटाले से जिला का कोई विभाग उबर नहीं पा रहा है। अब डीएम भागलपुर के निर्देशानुसार सभी पदाधिकारियों व कर्मियों को यह बताना होगा कि उनके या उनके किसी भी परिवारजनों ने सृजन से किसी भी प्रकार का लोन या अनुदान नहीं लिया है। इस आशय का प्रमाण पत्र निकासी व व्ययन पदाधिकारी के समक्ष सभी कर्मियों व पदाधिकारियों को देना होगा। यह प्रमाण पत्र डीडीओ स्थापना के वरीय उप समाहर्ता के समक्ष जमा करेंगे। वरीय उप समाहर्ता इसे संकलित कर डीएम के समक्ष रखेंगे। इसके बाद ही संबंधित विभाग का वेतन कोषागार से जारी होगा।
डीएम आदेश तितरमारे ने यह निर्देश सभी डीडीओ सहित नवगछिया व भागलपुर के कोषागार पदाधिकारी को दिया है। डीएम ने कहा है कि जिले के विभिन्न कार्यालयों में वित्तीय अनियमितता के बड़े मामले प्रकाश में आए हैं। जिनमें सरकारी धनराशियों को अवैध रूप से सरकारी खातों से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड को स्थानांतरित किया गया है। जिला अंतर्गत कई व्यक्तियों जिनमें कई सरकारी सेवक भी शामिल हैं उनके द्वारा स्वयं अथवा अपने परिवारजनों को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड का सदस्य बनाकर उससे विभिन्न प्रयोजनों के लिए ऋण प्राप्त किया है। डीएम ने निकासी व व्ययन पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है कि वे अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों व कर्मचारियों से स्व घोषणा प्राप्त कर लें कि वे सृजन से ऋण या अनुदान नहीं लिए हैं। जिन पदाधिकारियों व कर्मियों अथवा उनके परिवारजनों द्वारा अपने सेवाकाल में कभी ऐसा ऋण लिया गया है वो उसकी जानकारी समाहरणालय स्थित स्थापना के वरीय उप समाहर्ता को देंगे।
मालूम हो कि सृजन घोटाला उजागर होने के बाद डीएम ने जिला सहकारिता पदाधिकारी को यह निर्देश दिया था कि वे इसकी पड़ताल करें कि सृजन में कितने सरकारी कर्मियों व पदाधिकारियों या उनके रिश्तेदारों का खाता है। इन खातों का संचालन कब से हो रहा है। खातों में राशि के आधार पर कितने लोग सृजन संस्था से उपकृत हुए हैं। यह जानकारी डीसीओ के द्वारा अभी तक डीएम को नहीं दी गई है। सृजन संस्था में अभी इंवेंट्री बन रही है इसलिए सूची तैयार नहीं हुई है।