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वृद्धों को वृद्धाश्रम खाली करने की मिल रही है धमकी

भागलपुर : डिप्टी मेयर व नगर निगम प्रशासन के बीच चल रही राजनीति में चंपानगर के मसकन बरारी स्थित वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्ग पिस रहे हैं। उनके समक्ष खाने-पीने से लेकर तमाम तरह का संकट गहरा गया है। स्थिति यह कि पेट भरने के लिए उन्हें मोहल्ले के लोगों के समक्ष हाथ फैलाना पड़ रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि अपने बच्चों से आहत हो जिन बागवान ने वृद्धाश्रम को शरणस्थली बनाई अब वे वहां भी दुखी हैं। व्यवस्था से आहत हो 10 में से चार बुजुर्ग वृद्धाश्रम छोड़कर कहीं और चले गए। जो बचे हैं उन्हें संस्था वाले फोन कर वृद्धाश्रम खाली करने की धमकी दे रहे हैं।

दरअसल, वृद्धाश्रम की व्यवस्था को लेकर डिप्टी मेयर व नगर निगम प्रशासन के बीच रार चल रही है। डिप्टी मेयर राजेश वर्मा ने वृद्धाश्रम के खर्च का ब्योरा नगर निगम से मांगा था। निगम ने जानकारी देने से मना किया तो उन्होंने आरटीआइ डाल वृद्धाश्रम का संचालन व राशि खर्च करने की जानकारी मांगी। इस खींचतान के कारण 19 जून को बुजुर्गो की सेवा कर रही संस्था के कर्मचारी वहां भाग खड़े हुए। लिहाजा लाचार बुजुर्ग श्याम चरण सिन्हा, नरसिंह साह, अशोक दास, अनूप दास, बाल्मिकी दास व देवेंद्र शर्मा के समक्ष भोजन-पानी का संकट खड़ा हो गया है।

जहां डिप्टी मेयर राजेश वर्मा का कहना है कि जब वृद्धाश्रम नगर निगम का है तो बिना अनुमति के वहां कोई संस्था कैसे काम कर सकती है। वृद्धों के रख-रखाव, भोजन, एनजीओ कर्मचारियों के वेतन पर कौन और क्यों तथा कहाँ से खर्च कर रहा है?

वहीँ निगम प्रशासन के अनुसार वृद्धाश्रम चलाने की जिम्मेदारी किसी एजेंसी को नहीं दी गई है। एक माह के अंदर एनजीओ बहाल कर वृद्धाश्रम को सुचारू रूप से संचालित किया जाएगा।

नगर आयुक्त अवनीश कुमार सिंह के अनुसार बुजुर्गो के भोजन की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। रैन बसेरा से एक कर्मी को देखरेख के लिए वहां भेजा जाएगा। एक माह में एनजीओ को बहाल कर लिया जाएगा। तब तक कैनरा बैंक के सहयोग से भोजन कराया जाएगा।

इससे अलग महापौर सीमा साहा का कहना है कि वृद्धाश्रम में कोई परेशानी नहीं होगी। जल्द ही इसकी निविदा होगी और समुचित व्यवस्था कराई जाएगी। वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग माता-पिता के तुल्य हैं। वे यहां जब तक हैं तब तक भोजन मैं खुद कराऊंगी। (साभार-दैनिक जागरण)