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सुप्रीम कोर्ट ने किया टिपण्णी से इंकार

करीब एक पखवाड़े से चर्चा में चल रही दिल्ली में वाहनों के लिए ईवेन आड (सम विषम) नंबर नीति पर मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि
ये दिल्ली सरकार की नीति है और अगर उसे ठीक लगती है तो वो उसे लागू करने के लिए स्वतंत्र है कोर्ट इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील वसीम अहमद कादरी ने राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों का ब्योरा देते हुए कहा कि सरकार एक अप्रैल से पीडब्लूडी की सड़कों को वैक्यूम क्लीनर से साफ कराएगी। एक अप्रैल का समय इसलिए रखा गया है क्योंकि इसके लिए सरकार को मशीने खरीदनी होंगी। कादरी ने कोर्ट से कहा कि वह दिल्ली सरकार की वाहनों में ईवेन आड नीति को मंजूरी दे दे। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ये नीति सरकार की है अगर सरकार को नीति ठीक लगती है तो वह उसे लागू करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेगा। इस पर वकील का कहना था कि अगर कोर्ट नीति को मंजूरी देता है तो सरकार को बल मिलेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे पहले भी कह चुके हैं कि वे स्वयं अपने साथी न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी के साथ कार पूल कर लेंगे उन्हें नीति से कोई दिक्कत नहीं है। इतना ही नहीं जस्टिस ठाकुर ने सामने खड़े हरीश साल्वे की ओर इशारा करते हुए हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि साल्वे के पास दो गाडि़यां हैं इन्हें भी दिक्कत नहीं होगी।
इस पर साल्वे ने कहा कि उनका घर भगवानदास रोड पर है और वे पैदल कोर्ट आ सकते हैं। जस्टिस ठाकुर ने वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने पत्र लिख कर कहा है कि वे साइकिल से कोर्ट आना चाहते हैं उन्हें साइकिल अंदर लाने की इजाजत मिले। इस बारे में सुप्रीमकोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिये गए हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कादरी से कहा कि प्रदूषण खतम करने की दिशा में यह एक कदम हो सकता है इसे कैसे लागू करना है यह सरकार को ही देखना होगा कोर्ट इस बारे में कुछ नहीं कहेगा।
कादरी ने विज्ञापन में मुख्यमंत्री का फोटो न लगाए जाने के कोर्ट के पूर्व आदेश का ध्यान दिलाते हुए मांग की कि दिल्ली के मुख्य मंत्री को विज्ञापन के जरिये जनता से अपील करने की अनुमति दी जाए। इसके अलाव उन्होंने बसों के लिए डीडीए से सस्ती कीमत में जमीन दिलाए जाने का भी आदेश मांगा लेकिन कोर्ट ने इस बारे मे कोई आदेश नहीं दिया।