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अखबारी लाल का मोटा चश्मा : प्रसव के लिये दुहाई या काली कमाई


अखबारी लाल 
धन्य हो अखबारी लाल भाईरेलवे को मिल रही भरपूर दुहाई, जिसने एक घंटे गरीब नवाज ट्रेन रोक प्रसव पीड़िता की जान बचाई। वहीं नवगछिया का अस्पताल कर रहा काली कमाई, दोनों खबर अखबार में है एक साथ आई, जिसकी किसी को शर्म तक नहीं है भाई।  
मामला 27 अगस्त का है, जिसे सभी अखबार ने छापा है। घटना दिघवारा स्टेशन की है, जहां रेलवे ने एक घंटा ट्रेन को रोका है। किशनगंज जिले के कोचाधामन निवासी अंजर आलम की पत्नी नवरोज बेगम को प्रसव कराया है।
इसी दिन की एक शर्मनाक खबर छपी है बिहार के ही भागलपुर जिला अंतर्गत नवगछिया स्थित सरकारी अस्पताल की । जहां प्रसव के दौरान साधोपुर के खंतर मण्डल की पत्नी अनिता देवी से दो सौ रुपये, खरीक निवासी मिथिलेश यादव की पत्नी रूपा देवी से तीन सौ रुपये डरा धमका कर जबरन वसूला गया। इसके अलावा ऐसी ही शिकायत बड़ी मकन्दपुर के गोविंद कुमार की पत्नी पूजा देवी, नया टोला के प्रवीण कुमार की पत्नी वंदना देवी ने भी की है। यह तो था प्रसव कराने के दौरान का मामला। खबर के अनुसार प्रसव के बाद बच्चे की नाल काटने के नाम पर पचास रुपये, लेबर रूम से बेड पर पहुंचाने का पचहत्तर रुपये इत्यादि तरह तरह से पैसा वसूली की काली कमाई इस अस्पताल में धड़ल्ले से जारी है।
जबकि इसी दिन के अखबार में यह भी खबर छपी है कि जिले की सिविल सार्जन शोभा रानी नजदीक के दूसरे अस्पताल का निरीक्षण कर रही थी। मामला साफ और स्पष्ट दिख रहा है कि इस अस्पताल के मजबूत इरादे वाले प्रसव कर्मियों और इसके जिम्मेदार अस्पताल उपाधीक्षक पर कोई असर पड़ने वाला नहीं। कारण इस अस्पताल के अस्पताल उपाधीक्षक डॉ0 बीपी मंडल अपनी लम्बी पहुँच के बल पर वर्षों से कुंडली मारे बैठे हैं। जिनकी दर्जनों बार शिकायत विभाग तक गयी लेकिन कोई असर नहीं पड़ता। अलवत्ता वे विभाग के आदेश को भी मानने तैयार नहीं रहते। छपी खबर के अनुसार अस्पताल उपाधीक्षक कहते हैं कि व्यवस्था ऐसी ही रहेगी। जो लोग हमारी व्यवस्था से नाखुश हैं, वे आगे का रास्ता देख सकते हैं।
लेकिन जब नजर इसी अखबार की बगल वाली खबर पर पड़ी तो होश फाख्ता हो गए। जब इसी अस्पताल में बंध्याकरण करायी महिला की तो मौत ही हो गयी। यह हादसा नवगछिया नया टोला निवासी प्रमोद राय की पत्नी सुनीता देवी के साथ हुआ। जिसे आपरेशन के बाद इलाज करते हुए भागलपुर रेफर कर दिया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। जिसके लिए नया टोला के वार्ड पार्षद बिनोद मंडल ने आंदोलन करने की बात कही है।

लगता है कि नवगछिया के लोग सिर्फ कह ही सकते हैं, कुछ कर या करा नहीं सकते हैं। अब तक तो पहले भी कई लोगों और अधिकारियों द्वारा अस्पताल उपाधीक्षक के तबादले और सुधार की बात कही गयी पर हुआ कुछ नहीं। अब तो अखबारी लाल को मामला साफ साफ नजर आ गया कि नवगछिया के अनुमंडलीय अस्पताल में काली कमाई के बल पर ही महिलाओं की जान को बख्शा जाता है। वरना सुनीता देवी जैसा हाल किसी का भी हो सकता है। चाहे सिविल सार्जन महिला ही क्यों नहीं हो।