एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बयान दिया है कि उन्हें आम आदमी पार्टी से परहेज नहीं है.
शीला दीक्षित ने ये चौंकानेवाला बयान एक अंग्रेजी न्यूज चैनल में बातचीत के दौरान दिया. शीला दीक्षित के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा है कि न तो वो किसी का समर्थन लेंगे और न ही देंगे.
न्यूज चैनल एंकर, जो कि एक वरिष्ठ पत्रकार भी हैं, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से चुनाव बाद के परिदृश्य पर चर्चा कर रहे थे.
उन्होंने शीला दीक्षित से सवाल किया कि अगर चुनाव बाद कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला और 'हंग एसेंबली' की स्थिति सामने आई तो उनकी रणनीति क्या होगी? दिल्ली की मुख्यमंत्री ने इस सवाल के जवाब में बिल्कुल नए गठजोड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि अव्वल तो ऐसी स्थिति आएगी ही नहीं और अगर हालात ऐसे बने तो हमें आम आदमी पार्टी से कोई परहेज नहीं है.
शीला दीक्षित का ये रणनीतिक बयान कापी चौंकाने वाला है. क्योंकि आम आदमी पार्टी ने अपने गठन कि दिनों से लेकर अब चुनाव प्रचार तक में दिल्ली की मुख्यमंत्री और कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर रखा है. उधर कांग्रेस भी हाल के दिनों पर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के असर को मानने से ही इनकार करती रही है.
लेकिन ABP न्यूज और नील्सन के चुनाव पूर्व सर्वे के नतीजों ने लगता है शीला और कांग्रेस को अपना रुख बदलने पर मजबूर कर दिया है. ABP न्यूज और नील्सन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के ओपीनियन पोल में बताया था कि 2008 के विधानसभा चुनाव में 41 सीटें जीतकर बहुमत से सरकार बनाने वाली कांग्रेस को इस बार मात्र 25 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है.
स्पष्ट है कि राजधानी के मतदाता इस बार शीला दीक्षित को नकारने के मूड में नजर आ रहे हैं.खास बात ये कि इस बार कांग्रेस को पछाड़कर दिल्ली में बहुमत से कमल खिलाने के बीजेपी के मंसूबों पर भी ग्रहण सा लगता नजर आ रहा है. हमारे सर्वे के मुताबिक 2008 के चुनाव में 24 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 32 सीटें जीतकर सबसे पड़ी पार्टी के तौर पर तो उभर सकती है, लेकिन उसे सरकार बनाने लायक स्पष्ट बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा है.
रंग में भंग डाल रही है आम आदमी पार्टी तमाम जद्दोजहद के बावजूद जिसे 10 से ज्यादा सीटें मिलतीं नजर नहीं आ रहीं हैं.2008 के चुनाव में निर्दलीय और अन्य ने 5 सीटें निकालीं थीं, लेकिन इस बार उनके खाते में मात्र 3 सीटें जाती दिख रहीं हैं. यानि कुल मिलाकर निर्दलीय और अन्य के सहयोग के बावजूद दिल्ली में कमल खिलाने के लिए डॉ. हर्षवर्धन को न चाहते हुए भी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल की मनुहार करनी ही पड़ेगी.
लेकिन हैरतअंगेज रूप से बीजेपी के बजाय शीला ने आम आदमी पार्टी से परहेज न होने का बयान देकर एक जबरदस्त रणनीतिक पहल कर दी है. उधर, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की इस पहल पर आम आदमी पार्टी ने फिलहाल कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं दी है. आम आदमी पार्टी की ओर से योगेंद्र यादव ने कहा कि शीला दीक्षित को किससे परहेज है और किससे नहीं ये वो ही जानें. फिलहाल आम आदमी पार्टी अपने रुख पर कायम है कि हम न तो सरकार बनाने के लिए किसी से समर्थन लेंगे और न ही देंगे.