तंदूर कांड में सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी फैसला सुना दिया है. सुशील शर्मा को फांसी की सजा नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दी है.
इस मामले में नैना साहनी के पति और पूर्व कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
निचली अदालत पहले ही सुशील शर्मा को दोषी करार देकर फांसी की सजा सुना चुकी थी, जिसपर बाद में हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी थी. फांसी से बचने की आस में सुशील शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुशील शर्मा की याचिका पर सुनवाई हुई थी और फैसला आज के लिए सुरक्षित रखा गया था.
1995 में हुआ था चर्चित नैना साहनी मर्डर केस, जब सुशील ने पत्नी की हत्या कर तंदूर में शव जला दिया था. सुशील शर्मा दिल्ली युवा कांग्रेस का पूर्व अध्यक्ष है और अवैध संबंध के शक में उसने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी.
क्या है तंदूर कांड?सुशील शर्मा और नैना साहनी दोनों ही युवा कांग्रेस से जुड़े हुए थे. इन दोनों ने लव मैरेज किया था. शादी के बाद भी सुशील शर्मा को यह शक था कि उसकी पत्नी नैना साहनी का किसी और से प्रेम प्रसंग चल रहा है. सुशील ने नैना की जासूसी भी करवाई थी. एक दिन जब वो घर लौटा तो उसने देखा कि नैना टेलीफोन पर किसी से बात कर रही है. यह देख उसका शक और बढ़ गया और उसने शक में अंधा होकर नैना पर गोली चला दी. गोली नैना के सिर पर लगी और उसकी तत्काल मौत हो गई. इसके बाद सुशील ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर नैना के शव को ठिकाने लगाने का प्लान बनाया. इन दोनों ने नैना को शव को नई दिल्ली स्थित अशोक यात्री निवास (बाद में इसका नाम रामदा प्लाजा हुआ, अब यह रॉयल होटल के नाम से स्थित है) ले गए. वहां रात के डेढ़ बजे इन्होंने वहां के तंदूर में नैना के शव को काट-काट कर जलाने की कोशिश की. जब मांस का टुकड़ा जल्दी जल नहीं रहा था तो उसने इसके लिए मक्खन का इस्तेमाल किया.
लेकिन इसी समय होटल की चाहरदीवारी के समीप चाय बेचने वाली महिला को शक हुआ तो उसने गश्त लगा रही पुलिस को सूचना दी. पुलिस अशोक यात्री निवास के अंदर गई तो यह पूरा खेल सामने आया और सुशील शर्मा को गिरफ्तार किया गया.
मामला दर्ज किया गया और निचली अदालत ने तमाम दलीलें सुनी. कोर्ट में नैना साहनी के माता-पिता ने बयान दिया कि सुशील नैना को बहुत परेशान करता था, उसे मारता-पीटता था. अदालत ने सुशील शर्मा के इस अमानवीय कृत्य को जघन्य अपराध मानते हुए फांसी की सजा सुनाई. हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगा दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है और फांसी की सजा को बदलते हुए इसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया है.