नवगछिया अनुमंडल के प्रायः सभी गांवों में शनिवार को पति के दीर्घायु के लिए शनिवार को महिलाओं ने वट सावित्री पूजा की। इस
मौके पर मुख्यालय स्थित वटवृक्षों के नीचे सुहागिनों का हुजूम उमड़ पड़ा।
पर्व को लेकर बाजार में फलों के दाम में तेजी थी। पर्व में फल चढ़ाए जाने का रिवाज है।
शनिवार को विवाहिता महिलाओं के लिए उत्साह एवं विश्वास का दिन रहा। विवाहिता अपने पति की लंबी एवं सुखद जिंदगी के लिए वट-सावित्री पर्व करते हुए उपवास में रही। विवाहिता पूरी श्रद्धा के साथ वट वृक्ष में मौली धागा बांधती रही एवं पूजा-पाठ कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना वट वृक्ष से करती रही। महिलाओं का मानना है कि जिस प्रकार वट वृक्ष लंबे समय तक इस पृथ्वी पर रहती हैं एवं अपने वृक्ष की तना से लोगों को ठंडक पहुंचाती रहती है उसी प्रकार उनके पति भी लंबी उम्र पाएं। पूजा के दौरान विवाहिता नवविवाहिता की भांति नाक तक सिंदूर लगाए वैवाहिक जोड़े वाले कपड़े से लिपटी रही।
महिलाओं ने इस व्रत के बारे में बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या में वट-सावित्री व्रत मनाए जाने का विधान है जो वेदों में भी वर्णित है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मन वांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं वट-सावित्री को वर्षा पूजा भी कहा जाता है।
पर्व को लेकर बाजार में फलों के दाम में तेजी थी। पर्व में फल चढ़ाए जाने का रिवाज है।
शनिवार को विवाहिता महिलाओं के लिए उत्साह एवं विश्वास का दिन रहा। विवाहिता अपने पति की लंबी एवं सुखद जिंदगी के लिए वट-सावित्री पर्व करते हुए उपवास में रही। विवाहिता पूरी श्रद्धा के साथ वट वृक्ष में मौली धागा बांधती रही एवं पूजा-पाठ कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना वट वृक्ष से करती रही। महिलाओं का मानना है कि जिस प्रकार वट वृक्ष लंबे समय तक इस पृथ्वी पर रहती हैं एवं अपने वृक्ष की तना से लोगों को ठंडक पहुंचाती रहती है उसी प्रकार उनके पति भी लंबी उम्र पाएं। पूजा के दौरान विवाहिता नवविवाहिता की भांति नाक तक सिंदूर लगाए वैवाहिक जोड़े वाले कपड़े से लिपटी रही।
महिलाओं ने इस व्रत के बारे में बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या में वट-सावित्री व्रत मनाए जाने का विधान है जो वेदों में भी वर्णित है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मन वांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं वट-सावित्री को वर्षा पूजा भी कहा जाता है।