देहरादून। शनिवार से लगातार हो रही आफत की बारिश
मंगलवार को थमने से रुद्रप्रयाग जनपद में केदारनाथ में राहत कार्य शुरू कर
दिया गया है। हिमाचल और उत्तराखंड में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के
लिए
इंडियन एयर फोर्स ने बचाव अभियान 'राहत' शुरू कर दिया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सेना के तकरीबन पांच हजार जवान राहत और बचाव कार्य में लगे हैं। वहीं,चमोली जनपद में अभी हेलीकाप्टर का इंतजार हो रहा है। इससे घांघरिया, बदरीनाथ, पांडुकेश्वर आदि स्थानों में फंसे लोगों को बाहर निकाला जाएगा। इधर, उत्तरकाशी में हल्की बूंदाबांदी के कारण राहत कार्य शुरू नहीं हो पाया था लेकिन अब बारिश थमती सी नजर आ रही है। इसी बीच पानीपत में यमुना पर बना तटबंध टूट जाने के कारण हरियाणा का उत्तर प्रदेश से संपर्क टूट गया है।
तेज बारिश ने मंगलवार को ग्यारह और लोगों की जान ले ली। इसके साथ मरने वालों की संख्या 73 हो गई है। वहीं केदारनाथ, बद्रीनाथ जाने वाले करीब 71440 श्रद्धालु अलग अलग जगहों पर फंसे हुए हैं। बाढ़ और बारिश के चलते पहले ही चारधाम की यात्रा को रोक दिया गया है। चमोली में इस वक्त सबसे ज्यादा श्रद्धालु फंसे हुए हैं। यहां पर करीब 27 हजार, रुद्रप्रयाग में पच्चीस हजार, उत्तरकाशी में करीब 9900 श्रद्धालु फंसे हुए हैं।
इसके साथ ही लोगों की उम्मीदों का दामन भी बढ़ता नजर आ रहा है, लेकिन अभी भी रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक करीब आठ हजार, गंगोत्री व यमुनोत्री रूट पर दस हजार, चमोली में जोशीमठ से लेकर बदरीनाथ तक करीब 17 हजार यात्री फंसे हुए हैं। जिन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के चलते राहत कार्य में बाधा आ रही है, हालांकि बारिश रुकने से कुछ जगहों पर गंगा के जलस्तर पर जरूर गिरावट हुई है। बादल फटने और बाढ़ की वजह से उत्तराखंड में 44 लोगों की मौत होने की खबर है। वहीं 175 घरों के भी ध्वस्त होने की खबर है। रुद्रप्रयाग में बाढ़ से भीषण तबाही देखने को मिली है। यहां पर करीब 73 इमारतें अलकनंदा नदी में समा गई हैं।
गौरतलब है कि पिछले तीन दिनों से हो रही कहर ढा रही इस बारिश ने पूरे हिमाचल और उत्तराखंड को बेहाल कर दिया है। सोमवार की रात बारिश का कहर उत्तरकाशी व चमोली में जारी रहा। उत्तरकाशी में गंगोत्री रूट गंगोत्री व हर्षिल के बीच धराली के पास भूस्खलन से 25 वाहन मलबे में दब गए। यहां करीब 500 यात्रियों सेना के कैंप में शरण ले रखी है। चमोली में पांडुकेश्वर से आगे लामबगड़ में भूस्खलन से 20 दुकान व 20 मकान के साथ ही करीब 15 वाहन नदी में बह गए।
हालांकि आज बारिश थमने से अलकनंदा, भागीरथी व अन्य सहायक नदियों का जलस्तर कम हो गया। इससे लोगों ने थोड़ी राहत महसूस की। उत्तरकाशी पहुंचे आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य को राहत में देरी के कारण लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी।
अब तक रुद्रप्रयाग जनपद में 11, टिहरी में नौ, उत्तरकाशी में दो, चमोली में एक की मौत हुई है। साथ ही रुद्रप्रयाग जनपद के केदारनाथ व रामबाड़ा में 65 लोग लापता बताए जा रहे हैं। वहीं राच्य आपदा नियंत्रण कक्ष के मुताबिक अभी तक उत्तराखंड में कुल 44 लोगों की आपदा से मौत हुई है। साथ ही 11 लोग लापता बताए जा रहे हैं। गढ़वाल के प्रभावित क्षेत्र में मदद पहुंचाने के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स की दस टीमें रवाना कर दी गई हैं। दो टीमें हरिद्वार में रोकी हुई हैं। साथ ही सेना के पांच हेलीकाप्टर प्रभावित क्षेत्र के लिए उड़ान भर चुके हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद में रामबाड़ा में हुए नुकसान का कोई आंकलन नहीं लग पाया है। क्षेत्र की सारी दुकानें व मकान ध्वस्त हो गए हैं। अभी तक माना जा रहा है कि वहां अधिकतर लोगों ने भाग कर जान बचाई। करीब 50 लोग लापता माने जा रहे हैं।
वहीं केदारनाथ में सुबह से ही यात्रियों को हेलीकाप्टर से फाटा तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया। दोपहर 12 बजे तक करीब 350 लोग सुरक्षित निकाले गए। अभी केदारनाथ में करीब एक हजार लोग फंसे हुए हैं। गौरीकुंड से लेकर रुद्रप्रयाग तक करीब 20 स्थानों पर सड़क पूरी तरह से ध्वस्त है। सोनप्रयाग में सेना अस्थाई पुल बनाने में जुट गई।
चमोली जनपद में बदरीनाथ, गोविंदघाट, घांघरिया, पांडुकेश्वर, पुलना, भ्यूंधार आदि स्थानों पर फंसे यात्रियों के लिए भोजन सामर्ग्री आदि अभी तक नहीं पहुंच पाई है। यहां प्रशासन हेलीकाप्टर पहुंचने का इंतजार कर रहा है।
इंडियन एयर फोर्स ने बचाव अभियान 'राहत' शुरू कर दिया है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सेना के तकरीबन पांच हजार जवान राहत और बचाव कार्य में लगे हैं। वहीं,चमोली जनपद में अभी हेलीकाप्टर का इंतजार हो रहा है। इससे घांघरिया, बदरीनाथ, पांडुकेश्वर आदि स्थानों में फंसे लोगों को बाहर निकाला जाएगा। इधर, उत्तरकाशी में हल्की बूंदाबांदी के कारण राहत कार्य शुरू नहीं हो पाया था लेकिन अब बारिश थमती सी नजर आ रही है। इसी बीच पानीपत में यमुना पर बना तटबंध टूट जाने के कारण हरियाणा का उत्तर प्रदेश से संपर्क टूट गया है।
तेज बारिश ने मंगलवार को ग्यारह और लोगों की जान ले ली। इसके साथ मरने वालों की संख्या 73 हो गई है। वहीं केदारनाथ, बद्रीनाथ जाने वाले करीब 71440 श्रद्धालु अलग अलग जगहों पर फंसे हुए हैं। बाढ़ और बारिश के चलते पहले ही चारधाम की यात्रा को रोक दिया गया है। चमोली में इस वक्त सबसे ज्यादा श्रद्धालु फंसे हुए हैं। यहां पर करीब 27 हजार, रुद्रप्रयाग में पच्चीस हजार, उत्तरकाशी में करीब 9900 श्रद्धालु फंसे हुए हैं।
इसके साथ ही लोगों की उम्मीदों का दामन भी बढ़ता नजर आ रहा है, लेकिन अभी भी रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक करीब आठ हजार, गंगोत्री व यमुनोत्री रूट पर दस हजार, चमोली में जोशीमठ से लेकर बदरीनाथ तक करीब 17 हजार यात्री फंसे हुए हैं। जिन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के चलते राहत कार्य में बाधा आ रही है, हालांकि बारिश रुकने से कुछ जगहों पर गंगा के जलस्तर पर जरूर गिरावट हुई है। बादल फटने और बाढ़ की वजह से उत्तराखंड में 44 लोगों की मौत होने की खबर है। वहीं 175 घरों के भी ध्वस्त होने की खबर है। रुद्रप्रयाग में बाढ़ से भीषण तबाही देखने को मिली है। यहां पर करीब 73 इमारतें अलकनंदा नदी में समा गई हैं।
गौरतलब है कि पिछले तीन दिनों से हो रही कहर ढा रही इस बारिश ने पूरे हिमाचल और उत्तराखंड को बेहाल कर दिया है। सोमवार की रात बारिश का कहर उत्तरकाशी व चमोली में जारी रहा। उत्तरकाशी में गंगोत्री रूट गंगोत्री व हर्षिल के बीच धराली के पास भूस्खलन से 25 वाहन मलबे में दब गए। यहां करीब 500 यात्रियों सेना के कैंप में शरण ले रखी है। चमोली में पांडुकेश्वर से आगे लामबगड़ में भूस्खलन से 20 दुकान व 20 मकान के साथ ही करीब 15 वाहन नदी में बह गए।
हालांकि आज बारिश थमने से अलकनंदा, भागीरथी व अन्य सहायक नदियों का जलस्तर कम हो गया। इससे लोगों ने थोड़ी राहत महसूस की। उत्तरकाशी पहुंचे आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य को राहत में देरी के कारण लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी।
अब तक रुद्रप्रयाग जनपद में 11, टिहरी में नौ, उत्तरकाशी में दो, चमोली में एक की मौत हुई है। साथ ही रुद्रप्रयाग जनपद के केदारनाथ व रामबाड़ा में 65 लोग लापता बताए जा रहे हैं। वहीं राच्य आपदा नियंत्रण कक्ष के मुताबिक अभी तक उत्तराखंड में कुल 44 लोगों की आपदा से मौत हुई है। साथ ही 11 लोग लापता बताए जा रहे हैं। गढ़वाल के प्रभावित क्षेत्र में मदद पहुंचाने के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स की दस टीमें रवाना कर दी गई हैं। दो टीमें हरिद्वार में रोकी हुई हैं। साथ ही सेना के पांच हेलीकाप्टर प्रभावित क्षेत्र के लिए उड़ान भर चुके हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद में रामबाड़ा में हुए नुकसान का कोई आंकलन नहीं लग पाया है। क्षेत्र की सारी दुकानें व मकान ध्वस्त हो गए हैं। अभी तक माना जा रहा है कि वहां अधिकतर लोगों ने भाग कर जान बचाई। करीब 50 लोग लापता माने जा रहे हैं।
वहीं केदारनाथ में सुबह से ही यात्रियों को हेलीकाप्टर से फाटा तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया। दोपहर 12 बजे तक करीब 350 लोग सुरक्षित निकाले गए। अभी केदारनाथ में करीब एक हजार लोग फंसे हुए हैं। गौरीकुंड से लेकर रुद्रप्रयाग तक करीब 20 स्थानों पर सड़क पूरी तरह से ध्वस्त है। सोनप्रयाग में सेना अस्थाई पुल बनाने में जुट गई।
चमोली जनपद में बदरीनाथ, गोविंदघाट, घांघरिया, पांडुकेश्वर, पुलना, भ्यूंधार आदि स्थानों पर फंसे यात्रियों के लिए भोजन सामर्ग्री आदि अभी तक नहीं पहुंच पाई है। यहां प्रशासन हेलीकाप्टर पहुंचने का इंतजार कर रहा है।