बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने सत्ता में सोमवार को सात साल पूरे कर लिये हैं.
बिहार में इन सात सालों में जहां प्रदेश का विकास हुआ, वहीं बिहार की छवि अन्य प्रदेशों में काफी सुधरी है.
नीतीश सरकार ने जहां रोजगार के काफी अवसर पैदा किये, वहीं बिहारवासियों को उनका स्वाभिमान भी वापस दिलाया.
वैसे पिछले कुछ दिनों से नीतीश सरकार को प्रदेश में काफी विरोध का सामना करना पड रहा है. अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए नीतीश ने कहा है कि अगर बिजली की स्थिति नहीं सुधरी तो वे वोट नहीं मांगेंगे.
यह सब अचानक से नहीं हुआ. लालू की सरकार से पस्त जनता ने नीतीश कुमार को सीएम हाउस तक भरी उम्मीदों के साथ पहुंचाया था. शुरूआती दिनों में सब कुछ सही चलता रहा. लेकिन बाद में नीतीश कुमार जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए.
वादों और हकीकत का फासला इतना बढ़ा कि नीतीश को पूरे राज्य में लोगों का गुस्सा झेलना पड़ा और उनके करीबी कई नेता भी उनसे नाराज हो गए.
यदि वह बिजली नहीं दे पाए तो वोट मांगने जनता के पास नहीं जाएंगे. उन्होंने विशेष राज्य का दर्जा लेने के लिए पूरे राज्य की रैली भी कर ली.
बिहार में इन सात सालों में जहां प्रदेश का विकास हुआ, वहीं बिहार की छवि अन्य प्रदेशों में काफी सुधरी है.
नीतीश सरकार ने जहां रोजगार के काफी अवसर पैदा किये, वहीं बिहारवासियों को उनका स्वाभिमान भी वापस दिलाया.
वैसे पिछले कुछ दिनों से नीतीश सरकार को प्रदेश में काफी विरोध का सामना करना पड रहा है. अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए नीतीश ने कहा है कि अगर बिजली की स्थिति नहीं सुधरी तो वे वोट नहीं मांगेंगे.
यह सब अचानक से नहीं हुआ. लालू की सरकार से पस्त जनता ने नीतीश कुमार को सीएम हाउस तक भरी उम्मीदों के साथ पहुंचाया था. शुरूआती दिनों में सब कुछ सही चलता रहा. लेकिन बाद में नीतीश कुमार जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए.
वादों और हकीकत का फासला इतना बढ़ा कि नीतीश को पूरे राज्य में लोगों का गुस्सा झेलना पड़ा और उनके करीबी कई नेता भी उनसे नाराज हो गए.
यदि वह बिजली नहीं दे पाए तो वोट मांगने जनता के पास नहीं जाएंगे. उन्होंने विशेष राज्य का दर्जा लेने के लिए पूरे राज्य की रैली भी कर ली.