स्वामी आगमानंद महाराज के सानिध्य में प्रारंभ हुआ रुद्रचंडी महायज्ञ सह श्रीरामकथा ज्ञान महायज्ञ का भव्य आयोजन
नव-बिहार समाचार, नवगछिया, भागलपुर। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर संत शिरोमणि परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में भागलपुर जिलान्तर्गत गोपालपुर प्रखंड के तिरासी ग्राम में दिनांक 07.06.2024, शुक्रवार से दिनांक 17.06.2024, सोमवार तक आयोजित श्री श्री 108 रूद्रचंडी महायज्ञ सह पावन श्रीरामकथा ज्ञान महायज्ञ के दूसरे दिन यानी दिनांक 08.06.2024, शनिवार को अपराह्न 05:00 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक आयोजित मंचोद्घाटन समारोह भारी भीड़ के बीच धूमधाम के साथ उत्साहपूर्ण मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह उद्घाटनकर्ता के रूप मे ति.माँ.भा.वि.वि. भागलपुर के कुलपति प्रो.(डॉ) जवाहर लाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में बी.एन. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक ठाकुर, ति.माँ.भा.वि.वि. भागलपुर के पूर्व प्राध्यापक प्रो.(डॉ) ज्योतीन्द्र चौधरी, एसएम काॅलेज, भागलपुर की हिन्दी विभागाध्यक्षा डॉ.आशा ओझा, ति.माँ.भा.वि.वि.भागलपुर के सीनेट सदस्य डॉ.मृत्युंजय सिंह गंगा, कविवर राजकुमार, सम्मानित सह गरिमामयी अतिथियों में जयपुर से पीताम्बर साधक श्री सुरेश मिश्र, काशी से पंडित अमरनाथ दूबे, बक्सर से श्री हरिशंकर ओझा, शिवशक्ति योगपीठ के लिये समर्पित साधक श्री कुंदन बाबा, काशी से संस्कृत के सधे विद्वान प्रो.(डॉ.) श्रवण शास्त्री, बनारस से चर्चित मानस मर्मज्ञा श्रीमती हीरामणि दीदी, मिमांसा आदि कई विषय विशेषज्ञ ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया।
आयोजक द्वारा मंचस्थ सभी विद्वतजनों एवं संतजनों को माल्यार्पित कर अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया गया। कवि-गीतकार राजकुमार के दीप गान से समारोह का शुभारंभ हुआ। डॉ.मृत्युंजय सिंह गंगा के द्वारा स्वागत भाषण के माध्यम से सभी आगत अतिथियों एवं आयोजक यज्ञ समिति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई। उद्घाटन भाषण में मंच के उद्घाटनकर्ता कुलपति प्रो. (डॉ.)जवाहरलाल ने रामचरित मानस और भगवान श्रीराम पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति-सभ्यता के सनातन पुरुष भगवान श्रीराम के आदर्श को हमें जीवन में उतारने की आवश्यकता है। समारोह के अंत में परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने अपने आशीषयुक्त संवोधन में कहा कि अपना यह प्यारा भारतवर्ष, अवतारों, ऋषि-मुनियों, संत-महात्माओं एवं सिद्धों की धरती रही है और आगे भी रहेगी। हमें अपनी विरासत जो हमारी आर्ष परंपरा है, को अवश्य ही आत्मसात कर आगे बढ़ते रहना चाहिए ताकि हमारा सद्संस्कार और गुरुजनों के प्रति समर्पण की भावना सदैव सुरक्षित एवं संरक्षित रहे। इस पुनीत अवसर पर मंचस्थ सभी समादरणीय विद्वतजनों/संतों एवं विदूषियों ने अपने-अपने विचार रस से आप्लावित कर सभी उपस्थित सुधी श्रोताओं को बांधे रखा। इस मंच का संचालन श्याम जी ने किया।