पटना (नवबिहार न्यूज नेटवर्क) : बिहार बोर्ड के इंटर के छात्रों के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने बहुत बड़ी खुशख़बरी दी है. बिहार बोर्ड ने इंटर के छात्रों को विषय की बाध्यता से मुक्त कर दिया है. और मनचाहा विषय चुनने का बेहतरीन विकल्प तैयार कर दिया है.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इंटरमीडिएट की परीक्षा और पढाई में बड़ा बदलाव किया है. शनिवार को हुई बिहार बोर्ड के गवर्निंग बॉडी की बैठक में कई नये प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गयी. बोर्ड द्वारा लिए गए नए निर्णय के अनुसार अब इंटर में स्ट्रीम वाइज पढ़ाई नहीं होगी. यानी साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम को खत्म कर दिया गया है. छात्र मनचाहा विषय लेकर इंटर कर सकेंगे. बिहार बोर्ड के गवर्निंग बॉडी से पास हुए इस प्रस्ताव को अब बोर्ड सरकार के पास भेजेगा. उसके बाद सरकारी की ओर से हरी झंडी मिलते ही इसे वर्ष 2018 से लागू कर दिया जायेगा.
बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा कि इंटर का नया सिलेबस 2007-09 में ही तैयार किया गया था. इस सिलेबस को पूर्व से ही अनुमति प्राप्त है पर इसे लागू नहीं किया जा सका था. शिक्षा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव मदन मोहन झा ने इस प्रस्ताव को तैयार किया था.
इस सिलेबस के अनुसार छात्र दो भाषा और तीन वैकल्पिक और एक एच्छिक विषय का चुनाव कर सकेंगे. इस सिलेबस के लागू हो जाने से छात्रों को काफी आसानी होगी और स्ट्रीम के झमेले से बच जायेंगे.
बिहार बोर्ड के नए सिलेबस के अनुसार, छात्र कोई भी विषय लेकर इंटर कर सकेंगे। इसमें विषयों के चयन में कोई बाध्यता नहीं रहेगी। छात्र मनचाहा विषय लेकर पढ़ाई कर सकेंगे। 11वीं और 12 वीं कक्षा में छात्रों को अनिवार्य रूप से दो भाषाएं लेनी होंगी। उन्हें 12 भाषा समूहों में से इसका चयन करना होगा.
वहीं 19 वैकल्पिक विषयों में से तीन विषयों को अनिवार्य रूप से लेना होगा। इसमें भी विषयों के चयन की कोई बाध्यता नहीं है. हालांकि छात्र भाषा समूह या वैकल्पिक विषय में से किसी एक विषय को रख सकता है जिसे एच्छिक माना जाएगा.
ये हैं वैकल्पिक विषय
गणित, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायनशास्त्र, कंप्यूटर साइंस, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, गृह विज्ञान, संगीत, बिजनेस स्टडीज, एकाउंटेंसी, इंटरप्रेन्योरशिप, मल्टी मीडिया एंड वेब टेक्नोलॉजी, योग और शारीरिक शिक्षा
ये हैं भाषा समूह
हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, मैथिली, मगही, अरबी, फारसी, भोजपुरी, पाली, प्राकृत
बिहार बोर्ड में पूर्व से ही यह प्रस्ताव तैयार था। इसे लागू करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। बिहार के शैक्षणिक बदलाव के लिए यह कदम उठाया गया है.