
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इस संबंध में घोषणा
करते हुए कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश जेएस वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जो वर्तमान कानूनों में संशोधन करने के संबंध में सिफारिशें देगी। समिति को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।
समिति जल्द सुनवायी मुहैया कराने के लिए आपराधिक कानून में संभावित संशोधनों तथा महिलाओं के खिलाफ जघन्य यौन उत्पीड़न के अपराधियों को और सख्त सजा के मामले पर गौर करेगी। समिति के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति :अवकाशप्राप्त: लीला सेठ (हिमाचल प्रदेश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश) और पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यन शामिल हैं।
वर्तमान कानून के तहत बलात्कार के लिए अधिकतम सजा आजीवन कारावास हो सकती है लेकिन गत रविवार की रात राजधानी दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय पैरा मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर देशभर में उत्पन्न नाराजगी से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा देने की मांग उठी है।
भाजपा ने भी ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों को मौत की सजा दिये जाने का समर्थन किया है। पार्टी ने कानूनों में संशोधन के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करने की भी मांग की है। शिंदे ने कहा कि अधिसूचना से यह साफ झलकता है कि सरकार दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले में शामिल लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करने को लेकर गंभीर है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस अधिसूचना से झलकता है कि सरकार कितनी गंभीर है। मैं देश को भरोसा दिलाता हूं कि हम गंभीर हैं। विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) धर्मेंद्र कुमार ने इससे पहले दिन में कहा था कि एक समिति का गठन किया जा रहा है जो कि बलात्कार की सजा को बढ़ाने की संभावना की समीक्षा करेगी।