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गया में पिंड दान करने के बाद भी प्रत्येक वर्ष अपने पूर्वर्जों के लिए करें तर्पण

गया में पिंड दान करने के बाद भी प्रत्येक वर्ष अपने पूर्वर्जों के लिए करें तर्पण
नव-बिहार समाचार, भागलपुर। भागलपुर के लालूचक स्थित माधव सदन में श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने पितृ पक्ष एवं गया श्राद्ध के महत्व पर परिचर्चा आयोजित की। इस परिचर्चा की अध्यक्षता प्रो डा ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी ने की। मुख्य अतिथि विद्या वाचस्पति कुलगीतकार पंडित आमोद प्रसाद मिश्र थे। इसके अलावा परिचर्चा में व्याकरणाचार्य पंडित शंभूनाथ शास्त्री, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला बौदि्धक शिक्षण प्रमुख हरविंद नारायण भारती, गीतकार राजकुमार, मुरारी मिश्र, डा. मृणाल शेखर, डा. प्रीति शेखर, रणजीत कुमार चौबे, श्वेत कमल पांडेय, आशीष कुमार झा, कैलाश प्रसाद शुक्ल आदि मौजूद थे। परिचर्या का संचालन स्वयं आगमानंद जी महाराज ने की। धन्यवाद ज्ञापन दिलीप शास्त्री ने किया। स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि अपने माता-पिता सहित अन्य बड़ों का हमेशा आदर करें। उनकी सेवा करें। पूर्वजों के प्रति अपना कर्तव्य का पालन करें। पूर्वजों को हमेशा याद रखें। प्रत्येक व्यक्ति को गया जाकर अपने पूवर्जों की पूजा करें उन्हें जल दें, पिंड दान करें। पृति पक्ष को कभी अशुभ नहीं मानें। इस पक्ष में पितर के लिए समर्पित है। जिनके पितर के प्रसन्न रहते हैं, वह कभी कष्ट में नहीं रहता। जीवन में उन्हें कभी कष्ट नहीं होता। ईश्वर के वे प्रिय रहते हैं। प्रेत बाधा उनको नहीं सताती। पंडित शंभूनाथ शास्त्री ने कहा कि जो व्यक्ति अपने पूर्वजों के लिए पिंड दान गया में करते हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि अब वे घर में पृति पक्ष के दौरान तर्पण नहीं करेंगे, बल्कि उन्हें हर वर्ष अपने पूर्वजों के लिए तर्पण करना चाहित। पूर्वजों को प्रसन्न करना बहुत आवश्यक है। गीतकार राजकुमार ने अपनी स्वरचित कविता- स्व के प्रति संतान जो, रहती श्रद्धावान, राज गया जी जा वही, करती पिंड प्रदान। पिंड प्राप्त कर पितरगण, होते राज प्रसन्न, संतति पर दे ध्यान नित, रखते हैं संपन्न। पिंड दान कर पितर को, करते हैं जो तृप्त, राज पितर भी नीत उन्हें, रखते चेतन दीप्त। रणजीत कुमार चौबे ने सनातन धर्म में पृति पक्ष के महत्व पर चर्चा की।