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राजग के भविष्य पर लगा प्रश्न चिन्ह

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी भले ही राजग का दायरा बढ़ाने की बात करते रहे हों, सोमवार को खुद उनके ही एक कदम ने गठबंधन के लिए खतरा पैदा कर दिया। राजग के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
एक दिन पहले तक जो जदयू नरेंद्र मोदी की नई भूमिका को पार्टी का अंदरूनी मसला बताकर संयमित बयान दे रहा था, आडवाणी के इस्तीफे ने उसे हमलावर होने का मौका दे दिया।
आडवाणी ने चाहे अनचाहे पार्टी के साथ साथ गठबंधन में भी अंदरूनी कलह को सार्वजनिक कर दिया। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से जदयू ने राजनीतिक परिस्थितियों का आकलन करते हुए संयमित रुख अपना रखा था। भाजपा चुनाव अभियान समिति की कमान मोदी को सौंपने के एक सवाल पर बिहार प्रदेश जदयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा था, हमने तो पीएम उम्मीदवार को लेकर अपनी कुछ शर्त रखी है, दूसरे स्तर पर भाजपा के अंदर कुछ होता है तो हमें उससे कोई लेना देना नहीं है। लेकिन सोमवार को आडवाणी की ओर से अपनी ही पार्टी पर लगाए गए आरोप और इस्तीफे ने आग भड़का दी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट किया कि नई परिस्थिति में पार्टी जल्द ही बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेगी। फिर तो शरद यादव से लेकर जदयू के दूसरे नेताओं मे यह बोलने की होड़ लग गई कि अगर ऐसा हुआ तो फिर गठबंधन चलना मुश्किल होगा। जदयू शायद यह भूल गया कि आडवाणी का नाराजगी भरा पत्र भी भाजपा का अंदरूनी मामला है और फिलहाल आडवाणी ने राजग के कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश नहीं की है। शरद यादव ने कहा, मैं आडवाणीजी के इस्तीफे की खबर से काफी सदमे में हूं। पूरे प्रकरण पर विचार करने के लिए हमारी पार्टी भी बैठक करेगी।
उधर, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिव सेना ने भी आडवाणी के इस्तीफे को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि राजग की कल्पना भी उनके बगैर नहीं की जा सकती। शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के हवाले से बताया कि आडवाणी का नेतृत्व एनडीए के लिए बहुत जरूरी है। हम भविष्य में भी उनका नेतृत्व लेना चाहेंगे। उनका इस्तीफा बहुत ही चिंता की बात है जिस पर भाजपा को सही तरीके से विचार करना चाहिए।
राजग के एक अन्य सहयोगी दल अकाली दल [बादल] ने इसे भाजपा का आतंरिक मामला बताया है। गठबंधन की भावी सहयोगी के तौर पर देखी जाने वाली तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी आडवाणी के इस्तीफे को भाजपा का अंदरूनी मामला करार दिया। हालांकि उन्होंने नरेंद्र मोदी को अपना मित्र बताते हुए उन्हें नए पदभार के लिए शुभेच्छा भी प्रकट की है।