पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा है कि अपने राज्य से बाहर दूसरे राज्यों में जाकर काम करना बिहारियों का हक है, पूरा देश एक है। जहां भी नौकरी मिलेगी, बिहारी वहां जाकर काम करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद मोहन द्वारा लिखित ‘बिहारी मजदूरों की पीड़ा’ व ‘चंपारण सत्याग्रह' विषय पर किताबों का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में रह रहे बिहारियों को प्रवासी कहना गलत है। वर्षों से रहकर वहां के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान उन लोगों ने दिया है।
मैं तो वह दिन देखना चाहता हूं जब दिल्ली का मुख्यमंत्री बिहारी हो। पंजाब में ग्राम पंचायतों के प्रमुख बिहारी हो रहे हैं। बिहार में आजादी के पहले और फिर बाद में रोजगार पैदा नहीं हुए। बिहार की उपेक्षा केंद्र द्वारा होती रही। हालांकि पिछले सालों से बिहार से पलायन में कमी आई है। इसका बड़ा प्रमाण पंजाब है, जहां बिहार के श्रमिकों के कम जाने से दिक्कतें होने लगी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने अन्य राज्यों और विदेश में जाकर काम कर रहे श्रमिकों की सुविधा के लिए कई योजनाएं बनायी हैं। उन पर काम चल रहा है। बिहार की अपनी आमदनी भी बढ़ी है।
जहां बिहारी वहां विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी बिहारी हैं, वहां विकास हुआ है। चाहे वह असम, कोलकाता, दिल्ली, पंजाब अथवा महाराष्ट्र हो। कहा कि मैं भूटान गया था तो वहां के लोग भी बोले कि बिहारी जितना मेहनत करते हैं, उतना यहां के लोग नहीं कर पाते। मॉरीशस में तो 52 फीसदी लोग बिहार मूल के हैं।
निवेश हुए दूसरे राज्यों में
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भी निवेश दूसरे राज्यों में हुए। चाहे वह सरकारी हो या निजी। भाड़ा समानीकरण की नीति से बिहार का खाद्यान यहीं की कीमत पर दूसरे राज्यों को दिया गया। इसका भी बड़ा नुकसान बिहार को हुआ। उन्होंने कहा कि जहां निवेश हुए वहां विकास हुआ। इसलिए उन्हीं राज्यों में रोजगार के अवसर पैदा हुए।
हर राज्य में होता है पलायन
मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन सिर्फ बिहार में नहीं, बल्कि हर राज्य में होता है। बिहार के लोग पंजाब जाते हैं। वहां के करीब हर परिवार का एक सदस्या कनाडा आदि देशों में रहता है। पूर्वी यूपी और झारखंड के लोगों को भी बाहर में बिहारी ही बोला जाता है। दोनों पुस्तक के लेखक अरविंद मोहन, आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता, पूर्व मंत्री संजय पासवान, राजद प्रवक्ता मनोज और सामाजिक संस्था पैरवी के अजय झा ने भी अपने विचार रखे।