शनिवार से जारी बारिश ने उत्तराखंड में जबरदस्त कहर बरपाया। विशेषकर
गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी जिले सर्वाधिक
प्रभावित हुए हैं, जबकि हरिद्वार और देहरादून के कई इलाकों में
पानी भरा हुआ है। सड़कें, पुल, झूला पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त होने से मंडल के सैकड़ों गांव और कस्बे शेष दुनिया से कट गए हैं। सौ से अधिक भवन उफनती नदियों में समा चुके हैं। इस दौरान रुद्रप्रयाग में 11, देहरादून में चार, टिहरी में पांच और उत्तरकाशी जिले में दो लोगों की मौत हो गई। रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ में बादल फटने और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है।
-तस्वीरों में देखें: पानी ने कैसे बरपाया कहर
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा मेंहुए भूस्खलन से करीब एक दर्जन दुकानें ध्वस्त हो गईं। शासन से मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार अभी तक 11 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि रामबाड़ा में 50 से अधिक के लापता होने की आशंका जताई जा रही है।
केदारनाथ में बने हेलीपैड़ भी भूस्खलन की चपेट में आने के समाचार हैं। हेलीपैड को हुए नुकसान का पता नहीं चल पाया है। प्रशासन के मुताबिक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है। लगातार हो रही बारिश और संचार व्यवस्था धवस्त होने के कारण राहत कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। केदारनाथ में ढाई से तीन हजार तीर्थ यात्रियों के फंसे होने की सूचना है, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। खराब मौसम की वजह से देहरादून में राहत सामग्री लेकर तैयार हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। प्रभावित इलाके में संपर्क न होने के कारण शासन और प्रशासन स्वयं को लाचार महसूस कर रहे हैं। उधर, टिहरी जिले के थत्यूड़ इलाके में भी बादल फटने से पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं देहरादून के कालसी ब्लाक में मकान ढहने से एक ही परिवार के चार लोग जिंदा दफन हो गए। साथ ही पौड़ी जिले के श्रीनगर शहर में भी अलकनंदा का पानी घुसने से कई इलाकों को खाली कराया गया है। इसके अलावा कुछ दुकानों को भी नुकसान पहुंचा है। इस बीच केंद्र राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की 12 टीमें प्रभावित स्थलों की ओर रवाना कर दी हैं। इनमें से आठ टीम दिल्ली और चार भठिंडा (पंजाब) से भेजी गई हैं। कुमाऊं के अल्मोड़ा में मलबे की चपेट में आने से उत्तराखंड परिवहन की दो बसें खाई में गिरी, पांच की मौत, तीस घायल। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला-मुनस्यारी के 35 गांवों के अस्सी मकान बारिश के क्षतिर्ग्रस्त, सेना के 14 बैरक, ट्रांजिट कैंप बहा, एनएचपीसी के छह आवास बारिश से क्षतिग्रस्त।
जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। नदियां खतरे के निशान से ऊपर आ गईं हैं। चमोली में कई पूल टूट गए हैं। कई घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं। प्रशासन ने उत्तरकाशी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्य की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मृतक आश्रितों को मुख्यमंत्री कोष से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये सहायता देने के निर्देश दिए हैं। इधर, सरकार ने मृतकों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कंट्रोल रूम के नंबर जारी किए हैं। 0135-2710334
0135-2710335
0135-2710233
दो बसें खाई में गिरी, चार मरे
लगातार हो रही बारिश से पहाड़ में भारी तबाही हुई है। दिल्ली से लौट रही रोडवेज की दो बसें धौलछीना के पास खाई में गिर गई। एक बस से चार शव और 20 घायलों को निकाला गया है। जगह-जगह मार्ग अवरुद्ध होने से बचाव दल मौके पर नहीं पहुंच सका था। शनिवार रात से लगातार हो रही बारिश के चलते पहाड़ के अधिकांश रास्ते मलबा आने से बंद हो गए हैं।
पानी भरा हुआ है। सड़कें, पुल, झूला पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त होने से मंडल के सैकड़ों गांव और कस्बे शेष दुनिया से कट गए हैं। सौ से अधिक भवन उफनती नदियों में समा चुके हैं। इस दौरान रुद्रप्रयाग में 11, देहरादून में चार, टिहरी में पांच और उत्तरकाशी जिले में दो लोगों की मौत हो गई। रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ में बादल फटने और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है।
-तस्वीरों में देखें: पानी ने कैसे बरपाया कहर
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा मेंहुए भूस्खलन से करीब एक दर्जन दुकानें ध्वस्त हो गईं। शासन से मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार अभी तक 11 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि रामबाड़ा में 50 से अधिक के लापता होने की आशंका जताई जा रही है।
केदारनाथ में बने हेलीपैड़ भी भूस्खलन की चपेट में आने के समाचार हैं। हेलीपैड को हुए नुकसान का पता नहीं चल पाया है। प्रशासन के मुताबिक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है। लगातार हो रही बारिश और संचार व्यवस्था धवस्त होने के कारण राहत कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। केदारनाथ में ढाई से तीन हजार तीर्थ यात्रियों के फंसे होने की सूचना है, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। खराब मौसम की वजह से देहरादून में राहत सामग्री लेकर तैयार हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। प्रभावित इलाके में संपर्क न होने के कारण शासन और प्रशासन स्वयं को लाचार महसूस कर रहे हैं। उधर, टिहरी जिले के थत्यूड़ इलाके में भी बादल फटने से पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं देहरादून के कालसी ब्लाक में मकान ढहने से एक ही परिवार के चार लोग जिंदा दफन हो गए। साथ ही पौड़ी जिले के श्रीनगर शहर में भी अलकनंदा का पानी घुसने से कई इलाकों को खाली कराया गया है। इसके अलावा कुछ दुकानों को भी नुकसान पहुंचा है। इस बीच केंद्र राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की 12 टीमें प्रभावित स्थलों की ओर रवाना कर दी हैं। इनमें से आठ टीम दिल्ली और चार भठिंडा (पंजाब) से भेजी गई हैं। कुमाऊं के अल्मोड़ा में मलबे की चपेट में आने से उत्तराखंड परिवहन की दो बसें खाई में गिरी, पांच की मौत, तीस घायल। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला-मुनस्यारी के 35 गांवों के अस्सी मकान बारिश के क्षतिर्ग्रस्त, सेना के 14 बैरक, ट्रांजिट कैंप बहा, एनएचपीसी के छह आवास बारिश से क्षतिग्रस्त।
जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। नदियां खतरे के निशान से ऊपर आ गईं हैं। चमोली में कई पूल टूट गए हैं। कई घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं। प्रशासन ने उत्तरकाशी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्य की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मृतक आश्रितों को मुख्यमंत्री कोष से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये सहायता देने के निर्देश दिए हैं। इधर, सरकार ने मृतकों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कंट्रोल रूम के नंबर जारी किए हैं। 0135-2710334
0135-2710335
0135-2710233
दो बसें खाई में गिरी, चार मरे
लगातार हो रही बारिश से पहाड़ में भारी तबाही हुई है। दिल्ली से लौट रही रोडवेज की दो बसें धौलछीना के पास खाई में गिर गई। एक बस से चार शव और 20 घायलों को निकाला गया है। जगह-जगह मार्ग अवरुद्ध होने से बचाव दल मौके पर नहीं पहुंच सका था। शनिवार रात से लगातार हो रही बारिश के चलते पहाड़ के अधिकांश रास्ते मलबा आने से बंद हो गए हैं।