नव-बिहार न्यूज नेटवर्क (NNN)। सृजन की पहुंच और हनक ऐसी थी कि जिसके लिए लोग अपने राजनीतिक मतभेद भी भूल जाते थे. जैसे इस फोटो में अमित कुमार के साथ
गिरिराज सिंह (बीजेपी) और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय (कांग्रेस)।
भागलपुर में एनजीओ सृजन का 750 करोड़ का घोटाला सामने आया तो राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। आरोपियों के बड़े-बड़े अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ संबंध उजागर होने लगे।
यह अलग बात है कि किसी मामले के आरोपी के साथ फ़ोटो होना किसी व्यक्ति के स्वभाव या उस अपराध में उसकी भागीदारी को साबित नहीं करता लेकिन बिहार के भागलपुर में हुए 750 करोड़ के सृजन घोटाले की जांच में लगी भागलपुर पुलिस इसके दफ़्तर से प्राप्त तस्वीरों को देखकर दंग हैं। एनजीओ सृजन के कार्यालय में अधिकारियों खासकर ज़िलाधिकारियों के साथ तस्वीरें दीवारों पर टंगी हैं, वहीं कुछ प्रभावशाली नेताओं की हर कार्यक्रम में शिरकत ये तस्वीरें बयां कर रही हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, प्रिया और अमित के साथ। सुबोध कांत और प्रिया के पिता अनादि ब्रह्मा झारखंड में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और करीबी रहे हैं।
हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना हैं कि आरोपियों के साथ इन बड़े नेताओं की तस्वीरों से कुछ साबित नहीं होता। लेकिन ये तस्वीरें सृजन एनजीओ की संस्थापक मनोरमा देवी से इन राजनेताओं के घनिष्ठ संबंधों को बताती हैं और उनके बाद सृजन की सचिव बनीं बहू प्रिया और उनके पति अमित कुमार से उनके संबंधों को दर्शाती हैं।
राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सहकारिता मंत्री आलोक मेहता सृजन के कार्यालय में प्रिया के साथ।
सृजन घोटाला
बिहार के भागलपुर जिले में 750 करोड़ रुपया का एनजीओ घोटाला सामने आया है। इसके तहत शहरी विकास के लिए भेजी गई यह राशि गैर-सरकारी संगठन के खातों में पहुंचाई गई। अब तक इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की प्राथमिक जांच से उजागर हुआ है कि मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए सरकारी बैंकों में पैसा जमा हुआ जोकि गैर-सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में ट्रांसफर हो गया। यह संगठन वास्तव में उत्तरी बिहार के भागलपुर में स्थित है। यह जिले के विभिन्न ब्लॉक में महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराता है। यह महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराता है।
बिहार के भागलपुर जिले में 750 करोड़ रुपया का एनजीओ घोटाला सामने आया है। इसके तहत शहरी विकास के लिए भेजी गई यह राशि गैर-सरकारी संगठन के खातों में पहुंचाई गई। अब तक इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की प्राथमिक जांच से उजागर हुआ है कि मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए सरकारी बैंकों में पैसा जमा हुआ जोकि गैर-सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में ट्रांसफर हो गया। यह संगठन वास्तव में उत्तरी बिहार के भागलपुर में स्थित है। यह जिले के विभिन्न ब्लॉक में महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराता है। यह महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराता है।
भागलपुर के स्थानीय राजद सांसद बुलो मंडल, जदयू की राज्यसभा सांसद कहकशां परवीन, कांग्रेस के स्थानीय विधायक अजित शर्मा, सृजन की सचिव प्रिया के साथ. प्रिया फरार चल रही हैं.
पुलिस के मुताबिक यह एनजीओ एक को-ऑपरेटिव बैंक भी चलाता था और आरबीआई से बैंक के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था. इस मामले में गत गुरुवार को सृजन महिला सहयोग समिति के पदाधिकारियों, बैंक के पदाधिकारी, सरकारी कर्मी (जो खाते एवं उसके दस्तावेज की देख-रेख करता था), पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. अब तक कुल मिलाकर इस केस में पांच केस दर्ज हो चुके हैं. इस घोटाले के ताुर अन्य जिलों तक पहुंचने की आशंका के मद्देनजर राज्य सरकार ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को बैंकों में जमा सरकारी धन की पड़ताल करने को कहा है।