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ट्रेजरी घोटाला : भागलपुर डीएम का पीए प्रेम कुमार गिरफ्तार

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क, भागलपुर (NNN) : सृजन द्वारा भागलपुर में किये गये महाघोटाले की एक बड़ी कड़ी जांच टीम को हाथ लगी है. 300 करोड़ से बढ़ कर 500 करोड़ तक पहुंचा ट्रेजरी घोटाला मामले में इसे बड़ी कार्रवाई समझी जा रही है. जिसके तहत भागलपुर डीएम के पीए प्रेम कुमार को गिरफ्तार किया गया है. यह कार्रवाई इस घोटाले की जांच कर रहे SIT ने की है. अभी SIT की टीम डीएम के पीए प्रेम कुमार के घर छापेमारी कर रही रही है. 

बता दें कि भागलपुर में हुए ट्रेजरी घोटाले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सख्त तेवर के बाद इस पूरे मामले की जांच तेज हो गई है. मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई के सूत्रों का दावा है कि जल्द ही पूरे राज्य में घोटाले के तार फैले मिलेंगे. कुल आंकड़ा हजार करोड़ पार कर जाए तो हैरत नहीं. यानी, चारा घोटाले का रिकार्ड टूटने जा रहा है. सृजन के सृजन से लेकर घोटाले के सृजन तक की पूरी कहानी बड़े लोगों की मिलीभगत से किए गए बड़े खेल की ओर इशारा कर रही है.

बता दें कि सृजन घोटाला मामले में एसआईटी को अहम जानकारी हाथ लगी है. जांच के दौरान पता चला कि सरकारी योजनाओं के बैंक खाते से संबंधित शाखा में नहीं, बल्कि भीखनपुर त्रिमूर्ति चौक स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस में फर्जी अपडेट होता था, ताकि खाते में सरकारी राशि जस की तस दिखे, जबकि हकीकत में इन सरकारी खातों से पैसे निकाल कर सृजन के खातों में भेज दिया जाता था, जहां उसका अलग-अलग मदों उपयोग होता था. जिला प्रशासन के अधिकारी, बैंक और सृजन की मिली-भगत से सरकारी राशि की उपयोग का गोरखधंधा चल रहा था.

जांच में जुटी आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के सूत्रों का कहना है कि सृजन घोटाले का दायरा सिर्फ भागलपुर तक केन्द्रित नहीं है. इसमें अब सहरसा का भी नाम जुड़ गया है. सहरसा के जिला भू-अर्जन कार्यालय और सृजन के बीच 150 करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन के दस्तावेज बुधवार की रात ही हाथ लगे हैं. इसके अलावा भागलपुर के को-ऑपरेटिव बैंक का 48 करोड़ रुपया भी सृजन में जमा होने की बात सामने आई है. अधिकारियों के अनुसार दोनों मामलों में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है.

बुधवार को दिन में करीब सवा दो बजे जांच टीम भागलपुर पहुंची. रात करीब दो बजे तक जांच चलती रही. इस दौरान जो खुलासे हुए उससे साफ हो गया कि घोटाले के तार बिहार के अन्य जिलों से भी जुड़े हैं. इसमें बैंक, प्रशासनिक अफसर, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, बिजनेसमैन और कई निजी कंपनियां शामिल हैं.